क्या हर AI model, Token के नाम पर पैसे कमाना चाहता है?

हर AI मॉडल का उद्देश्य केवल टोकन के नाम पर पैसे कमाना नहीं होता, बल्कि यह इस पर निर्भर करता है कि वह किस कंपनी या संगठन द्वारा बनाया गया है और उसका बिजनेस मॉडल क्या है।

टोकन आधारित भुगतान मॉडल क्यों?

OpenAI जैसे कुछ संगठन API service provide करते हैं, जहां users से उनके द्वारा उपयोग किए गए टोकन की संख्या के आधार पर शुल्क लिया जाता है। ऐसा करने का मुख्य कारण हैं:

Computing Power का खर्च:

  • बड़े AI मॉडल (जैसे GPT-4) को चलाने के लिए बहुत अधिक GPU और CPU संसाधन लगते हैं।
  • प्रत्येक query के लिए AI को करोड़ों गणनाएँ करनी पड़ती हैं, जिससे बिजली और हार्डवेयर का खर्च आता है।
  • कंपनियां यह खर्च कवर करने के लिए टोकन-आधारित प्राइसिंग लागू करती हैं।

Usage-Based Fair Pricing (उपयोग के हिसाब से शुल्क)

  • यदि कोई व्यक्ति छोटे प्रश्न पूछता है, तो उसे कम भुगतान करना पड़ता है।
  • लेकिन अगर कोई बहुत lengthy and sophisticated queries डालता है, तो वह ज्यादा संसाधन लेता है, resources खर्च होते हैं और उसी हिसाब से payment किया जाता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि भुगतान उपयोग के हिसाब से हो, न कि फिक्स्ड सब्सक्रिप्शन मॉडल पर।

लेकिन हर AI कंपनी टोकन के नाम पर पैसे नहीं कमाती। मसलन,

फ्री और ओपन-सोर्स AI मॉडल्स (Free and open-source Models) जिनका इस्तेमाल, बिना किसी टोकन-आधारित चार्जिंग के किया जा सकता है

 स्थानीय (Local) AI मॉडल:

  • कुछ AI मॉडल्स को आप अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड करके चला सकते हैं, जिससे कोई टोकन आधारित शुल्क नहीं देना पड़ता। Example- Llama 3, GPT4All, Alpaca, और Mistral 7B
  • ये मॉडल एक बार डाउनलोड होने के बाद इंटरनेट के बिना भी काम कर सकते हैं, जिससे कोई लागत नहीं लगती। No payment for tokenisation.

फिक्स्ड-प्राइस सब्सक्रिप्शन वाले मॉडल (Fixed Price subscription Models)

  • कुछ कंपनियां टोकन के आधार पर नहीं, बल्कि मासिक सदस्यता (Subscription) के आधार पर भुगतान लेती हैं।
  • उदाहरण: ChatGPT Plus ($20/month), Claude Pro, Gemini Advanced

ऐसे में मन में सवाल उठता है कि – क्या OpenAI या Google जानबूझकर अधिक टोकन खर्च करवाते हैं? बोले तो, Overtime मिलने के लिए ज्यादा नखरे करते हैं क्या ? कहीं OpenAI या अन्य कंपनियां जानबूझकर टेक्स्ट को अधिक टोकन में तोड़कर ज्यादा चार्ज करती हैं क्या ? ये सवाल मन में आता है और आना भी चाहिए। भाई पैसे का सवाल है 🙂

लेकिन, मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होता होगा। दरअसल, टोकनाइज़ेशन एक निश्चित प्रक्रिया से होती है, एक process होता है जो BPE (Byte Pair Encoding) या अन्य विधियों पर निर्भर करती है। हालांकि, कई मामलों में टोकन की संख्या उपयोगकर्ता की अपेक्षा से अधिक हो सकती है (क्योंकि AI शब्दों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करता है)।
उदाहरण के लिए, “Artificial” एक टोकन हो सकता है, लेकिन “Unbelievable” को “Un”, “believ”, “able” में विभाजित किया जा सकता है।

लेकिन वही बात कि बात पैसे की है और कंपनियों का बिजनेस मॉडल इसी पर टिका होता है, इसलिए वे इसे ज्यादा महंगा बना सकते हैं, high priced subscription कर सकते हैं। low rate of AI tokenisation से किस कंपनी का भला होगा यार 🙂

अब सवाल उठता है कि टोकन-आधारित AI को मुफ्त में कैसे उपयोग करें?

इसका जवाब है कि ऐसे कुछ धर्मात्मा विकल्प हैं, धरती अभी दानवीर Ai लोगों से खतम नहीं हुई है 🙂

 Bing Chat (Copilot) – Microsoft का GPT-4o फ्री में मिलता है।
 Google Gemini – फ्री वर्जन उपलब्ध है।
 Claude AI – Anthropic का AI मुफ्त में उपलब्ध है।
 स्थानीय AI (Local AI) – Llama 3, GPT4All, Alpaca, और Mistral 7B जैसे मॉडल अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड करके मुफ्त में चला सकते हैं।

कुल मिलाकर कहा जाय तो कुछ कंपनियां टोकन-आधारित पेमेंट मॉडल अपनाती हैं, ताकि वे कंप्यूटिंग खर्च को कवर कर सकें। वहीं कुछ AI मॉडल बिल्कुल मुफ्त और ओपन-सोर्स उपलब्ध हैं। Bing Chat, Google Gemini, और Local AI जैसे फ्री मॉडल्स आज़मा सकते हैं। कुछ के पास ज्यादा सवाल पूछो तो थक कर वे पैसे मांगने लगेंगे 🙂

– Jotter Satish

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